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दो शब्द
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kautilya
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महत्वाकांक्षा
महत्वाकांक्षा के आधार पर खरा जगत कभी अहिंसक नही हो सकता , फिर वो महत्वाकांक्षा संसार कि हो या संसार के पर की ।
जहाँ कहीँ भी महत्वाकांक्षा है वहां हिंसा है, वस्तुतः महत्वाकांक्षा ही हिंसा है ।
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