लोग जीवन से हार कर थक कर सन्यास लेने कि बात करते है , परंतु जब भी सन्यास सच्चा होता है , जीवन के थकान से नही जीवन के उल्लाश से पैदा होता है ।
जीवन के तरंगों से , पक्षियों के गीतों से ,वृक्षों कि हरियाली से , फूलों के रंग से गंध से । तारों के चमक से , जीवन के अनंत अनंत अनुभवों से पकता है । सन्यास जीवन के पर ले जाता है ,जीवन के विपरीत नही ।
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